Best Hindi Poetry

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{1} Hindi Poetry

Hindi Poetry
Hindi Poetry

सुंदर कविता हिंदी में

चर कुछ तो कहिए,
लिया दिल को तो इत्तला किजिए,
हूँ हुई गर तो गिला किजिए,
पसंद आई शायरी तो वाहवाह किजिए,
कभी आप भी कुछ तो कहा किजिए,
लांघ दे हम सरहद तो सजा दिजिए,
सुकून मिला रूह को तो बता दिजिए,
खामोश लफ्जों को दिल का पता दिजिए,
है दिल मे गर मलाल तो जता दिजिए,
जहन मे है बुरा खयाल तो मिटा दिजिए,
राहो मे छाये अंधियारो को हटा दिजिए,
मिला जो रब की मेहर से अदा किजिए,
शिश झुका के आदर से सजदा किजिए.
– निशा.


जिंदगी की राहों में कविता
आज साथ नहीं हो ,
नीर भरी आंखे तो होंगी ही ।
विरह की अन्नि में मिट जाती हैं
मिलन के पलों की खुशबू ।
मिलन के पलों में भी
अगर विरह का ख्याल आएगा
तो होंगी ही,
नीर भरी आंखे ।
दिल में ज्यादा खुशी हो,
या दिल में हो ज्यादा दुख,
या तो भगवान की भक्ति में मगन,
नीर भरी आंखे कर देती हैं,
कई बार नहीं , हर बार,
सब कुछ बयां , बिना कहे,
बिना सुने ।
नीर भरी आंखे हो तो,
ना बोलने की जरूरत है ना सुन ने की ।

Hindi Poetry
Hindi Poetry


संघर्षमय जीवन पर कविता
पानी की बूंदों का हो रहा है धरा पर आगमन,
पेड़ पौधे लहलहायेंगे,
जी उठेगा फिर से प्रकृती का तनमन,
मिलेगा उखडी हुई सांसों को नवजीवन,
कलकल बहती जलधारा,
होगा प्यासी नदीयां का समुन्दर से मिलन.
– निशा.


उदास जिंदगी कविता
कहाँ से जुटाती हो,
इतनी करुणा,
दूसरो के लिए,
डर नहीं लगता तुम्हें,
चेहरो के नकाबों से,
ये सवाल आज फिर,
मौन कर गया,
जब व्यक्ति बहुत,
टूट चुका हो तो दौ मीठे,
बोल भी उसे मरहम,
से लगते हैं,
जब हर बार ठगा गया हो,
तो एक सरल व्यक्ति से,
मिलना कठिन सा लगता है उसे,
मेरी करूणा की सीमा तो बहुत,
उथली है,
उसका दुख गहरा था,
– तशरीह.

{2} Hindi Poetry On Life


जी लिखता हूँ,
सब व्याप्त यहाँ,
है व्यक्त यहाँ,
दर जी व्याप्त नहीं,
पर्याप्त नहीं ख़ुद की हस्ती,
अव्यक्त हुआ जी,
आज तलक़,
कश्ती तक भी,
शर्मिंदा है.


मेरी जिंदगी कविता
व्यक्ति का आचरण कैसा होना चाहिए ?
सवाल तो लाख ठके का,
ग़म तो इसका हैं कि समझाये कौन,
किसकी किसको पूछ सकें,
ओर इतना दर्द बताये कौन.


जिंदगी की राहों में स्टेटस
हमसे तो नहीं होगा,
लेकिन क्या,
सोचा कभी,
ये तारे, नज़ारे,
नज़र भर इशारे,
किनारे पे चलते हुए,
लब्ज़ सारे,
मगर अफ़सोस तक कहते,
कहाँ ख़ामोश भी रहते.
– Kaviकात.


मोटिवेशनल कविता हिंदी में
पहले वतन,
बाद में तन,
औ आखिर में मन,
लेकिन क्या होगा,
इन सबका,
जब इनमें “मैं” होगा,
व्यर्थ ,व्यथा,सब झूठे नाते,
सिलवट बनते चले जा रहे,
अपनाते हैं जीवन रस्में,
जिनमें हम सब ढले जा रहे.
Kaviकात


Best Hindi Poetry Lines On Life
आपकी मौजूदगी लगे ऐसे,
भरी ठंड में सुबह की धूप हो जैसे!
लगे उसकी ऐसे मुस्कान,
जैसे किसी ने पा लिया हो मुक़ाम!!
उसकी लहराते हुई ये जुल्फें,
जैसे सावन में बादल झूमे,
उसकी प्यारी-प्यारी बातें,
जैसे डूबा रहे इनमें कोई दिन और रातें!!
उनके चलने की यह अदा,
जैसे बह रही हो अपनी ही मस्ती में हवा!
उनकी आंखों में ये गहराई,
जैसे टूट गई हो किसी शायर की तन्हाई!!
उनके बदन को छूकर गुजरती ये हवा,
जैसे हो किसी शायर की दवा,
उनके चेहरे पर यह शबाब,
जैसे दिन में देख रहे हो कोई ख्वाब!!

{3} कविता हिंदी में लिखी हुई


आमी थी तन्‍हाई नो रात भर के लिये,
सुबह शबनमी धूप उसे मिटाकर गयी,
छायी तो धुंद जो जिंदगी में कभी,
बरसती बूंदे धुंध को मिटाकर गयी.
कभी अन्धेरो से घबराकर बुझ जाना नही,
रोशनी जिंदगी को जो सिखाकर गयी.


हिंदी कविता प्रकृति
आया है यादों का मौसम,
सर्द भरी रातों का मौसम,
गर्म लिहाफों का ये मौसम,
तेरी मेरी बातों का मौसम,
मिलन भरी रातों का मौसम,
लम्बी लम्बी बातों का मौसम,
जाने कितनी बातों का मौसम,
तू ठहरा परदेशी जानम,
भूल गया जो घर नही आया,
तूने वादा कहाँ निभाया,
अब तो घर आ जा परदेशी,
आया है वादों का मौसम,
मिलन भरी बातों का मौसम.
– Kalyani Tiwari.


प्रसिद्ध हिंदी कविताएँ
एक सफर ऐसा भी,
जिधर नजर पड़ी उधर सन्नाटा पसरा,
सन्नाटों में भी आवाज थी,
शायद मुझे भी -उजालों की तलाश थी।
जिंदगी में चिरागों की आस थी,
मिली जो रोशनी मुझको,
उसे भी कयास थी,
चल पड़े मुसाफिर,
राह भी अब आसान थी।
– Kalyani Tiwari.


हिंदी कविता प्रकृति
जो छूट गया वो रेत था,
जो कुछ मिला वो कम नहीं,
अपना अपना नसीब था,
किसी के हिस्से में था मोती,
किसी हिस्से में था खाली सीपी,
हर किसी को जो मिला वो अपनी भेट था.
– कल्याणी तिवारी.


सबसे अच्छी कविता
अभी अभी तो मिले थे,
अजनबी तुम मुझसे,
अभी जाने की बात मत करना,
अभी देखा कहाँ तुमको,
अभी जाना कहाँ तुमको,
अभी दिल में उतरे हो,
अभी जाने की बात मत करना,
अभी आँखों की चितवन में,
तुम्हारी खुमारी चढ़ी ही है,
अभी खामोश लबों ने,
कोई बात कहाँ की है।

{4} Best Hindi Poetry


8 लाइन की कविता हिंदी में
प्रेम प्रीति की बात लिखू मैं,
दिल की मैं हर बात लिखू में,
कब तक राह निहारूँ तेरी,
बिन बदरी बरसात लिखू मैं,
सावन भादों मेरे दो नयन,
काली काली रात लिखू मैं,
अब तो आ जाओ परदेशी,
देहरी पर बैठी आस लिखू मैं।
-Kalyani Tiwari.


4 लाइन की कविता हिंदी में
पानी की तरह सब साफ है,
जिंदगी के सारे पन्ने,
बस नजरिया आना चाहिए,
देखने का अपने।


जिंदगी पर कविता हिंदी में
पता नही चला सबब-ए-जिंदगी तेरा,
हर बार बदलता रहा फैसला तेरा,
तमाम रास्ते थे मुकाम के खातिर,
चुना जो तूने रास्ता तलाशता ही रहा.
– कल्याणी तिवारी.


दो पल की जिंदगी कविता
अगर कहकर जाते तो,
मैं रोक न लेती तुमको,
कभी जकड़ा ही नही,
बेड़ियों में तुमको,
स्वछंद ही छोड़ दिया,
मेरा प्रेम का बंधन,
तुम्हें बाँधने के लिये नही,
तुम्हें प्रकाशित करने के लिये था,
मगर तुम्हें तो चोरी की आदत थी,
मेरे कान्हा तुम मुझे बिना बताये छोड़ गए ब्रज में।


प्रेम कविता हिंदी में
तुम बिन हम का हो सजनी,
तुम बिन हम का हो,
परुष समान पुरुष में तुमने,
भर दी अपनी कोमलता,
बेतरतीब पड़े जीवन में,
लाई सुगढ़ संरचना,
छोङ के निज घर बार, सजाया,
दूर नया सन्सार हो सजनी,
तुम बिन हम का हो सजनी,
तुम बिन हम का.


जिंदगी पर स्लोगन
मैं वही बदलाव हूँ,
वक्त के साथ बदल जाता हूँ,
मैं सत्य की राह दिखाता हूँ,
मैं बसा हूँ आज भी दिल में सबके,
जो आज भी हर जगह दिख जाता हूँ।
– कल्याणी तिवारी.

{5} Poetry In Hindi


Famous Hindi Poems on Life
वो पढ़ते रहे तमाम उम्र किताबों में जिंदगी,
हमने तो मुहब्बत के दो अल्फाज पढ़ लिये।
वो जीतकर भी हार गये जिंदगी का सबब,
हमने तो हारकर भी जीत ली है जिंदगी।
– कल्याणी तिवारी.


Kavita Pyar ke liye
समझ नही आता,
जश्न मुहब्बत,
रोज मिलकर भी,
जुदा हो जाते हो,
आने जाने में वक्त जाया होता है,
क्यों नहीं एक हो जाते हो।
– कल्याणी तिवारी.


लघु कविता इन हिंदी
आज हरे हैं तो,
कल पीत हो जायेंगे,
ये पत्ते हैं रीत हो जायेगें,
दरख़्तों को सहेज कर रखो,
इन पर ही कोंपल,
फिर आ जायेंगे।


कुदरत पर कविता
हटा तिमिर का घना अंधेरा,
किरणों ने है किया सबेरा,
लेकर आयी सूरज की लाली,
ध्वनि प्रतिध्वनि करता निनाद है,
चिड़ियों ने गुहार लगायी,
खिली कली देखो डाली डाली।
– कल्याणी तिवारी.


Sad Poetry in Hindi
खामोशियों का सिलसिला,
हर शाम शुरू होता है,
रात से पहर होने तक भिगोता है,
रूह को मेरी।
मैं प्रेम विरह की अगन में,
सुलगती बिखरती और सँवरती,
सुबह होने का इंतजार करती तुम,
आओ तो खत्म हो इंतजार हमारे,
दरमियाँ खामोशियों का.


वो रिश्ता पल भर का,
एक उम्र जी गया।
पल पल जिया है मैंने,
लम्हों में सी गया।


इश्क के सिवा क्या लिखू,
कोरे पन्ने पर बरसात लिखू,
जो हुआ है हाल दिल का,
मैं इश्क की बारिश में बेहाल लिखू,
मैं भीगती ही रही फुहार पड़ी।
इश्क की बारिश थी,
दिन रात हुयी,
तन तो भीगा ही था मेरा ।
अबकी मन में भी बरसात हुयी,
भीगकर भी जल रहा है बदन,
ये कैसी इश्क की बरसात हुयी.
– कल्याणी तिवारी.

हिन्दी- भाषा की संस्कृति सभ्यता और संस्कृति की पहचान,
हिंदी है विकास उत्थान की भाषा,
हिंदी से सीखा है हमने ज्ञान की भाषा,
हिंदी है हमारे अभिमान की भाषा,
सीखा हमने प्रथम चरण में हिंदी,
हिंदी है आगाज की भाषा,
हिंदी हमारे मातृ की भाषा,
आओ एक अलख जगाए,
हिंदी को नई पहचान दिलाएँ.
– कल्याणी तिवारी.


Short Poem In Hindi
अकर्मण्यता ही जीवन का अंत है,
कर्तव्य ही जीवन का प्ररम्भ।

{6} Famous Poetry In Hindi


हे ज्ञानदायिनी माता,
हिंदी मुझे ज्ञान की ज्योति दिखा दे,
जो पथ भटके हैं माँ,
देखो तुम उनको पथ का मार्ग बता दे,
छोड़ चुके जो हिंदी भाषा उनको,
अपनी महक दिखा दे,
मिट्टी में जन जन है बसता,
मिट्टी का अहसास करा दे,
अ से अनपढ़ भले बताया,
ज्ञ से ज्ञानी उन्हें बना दे.|


इस में ना दोष तेरा है ना मेरा है ।
ये तो तेरी साड़ी है जिसने,
न रंग शोख लाल सा मुझे बेचैन किया है,
चुनर है प्रीति की ओढ़कर,
मैं चली अपने घर,
मीत की ना कोई रोको,
अब मुझे नाही टीको,
अब मैं रंग में रंगी,
मैं अपने मनमीत की.
– कल्याणी तिवारी.


तूने जो लगायी लगन है,
इश्क की पहली अनि है,
छोड़कर न जाना पिया तू,
मैं मीरा सी तुझमें मगन हूँ.


डरे हुए से लम्हें है,
इस कदर कोई हवा गुजरती है,
जब इधर लगता है,
जैसे कोई गुबार हो,
आँधी की तरह दिल में,
चलता तूफान हो,
शिद्दत से इंतजार था मुझे,
किनारे से जा मिलूँ,
आयी जो लहर सब कुछ,
उड़ाकर चली गयी कमजोर थी कश्ती,
मेरे भँवर की झोंकों से,
अपने ही समंदर बहा गयी.
– कल्याणी तिवारी.


कभी ये सोचा है,
फुरसत की कोई शाम हो,
मैं हूँ तुम हो,
हवाओं का पयाम हो,
मिले नजर तो,
दुआ और सलाम हो,
इश्क की चादर हो,
बस मुहब्बत का पैगाम हो।
– कल्याणी तिवारी.


खुलती नही हैं,
खिड़कियाँ अब तो,
दरवाजे भी बंद हैं,
दहशत सी हो रही है,
सड़क पर निकलने में,
कब कौन जाने किधर,
भेड़िया खड़ा हो?


कितनी बार सुनना पड़ता है,
तुम लड़की हो ऐसे लिबास मत पहनो,
साड़ी पहनो,सलवार सूट पहनो,
तंग कपड़े उफ!
क्या करती हो ? सुना नही कल जीन्स पहनी थी,
उसका बलात्कार हो गया,
समझ नही आता लोगों को कपडें तंग है,
लोगों की सोच,
हाँ कपड़ों में शालीनता अच्छी बात है,
पर इतना अनुशासन अच्छा नही।
लड़कियाँ अपना जीना छोड़ दें।


क्षमा कर दीजिए,
मैं मानता हूँ क्षमा करना आसान नही,
पर जिस दिन गलती करने वाले के स्थान पर खुद रखना,
सीख लोगो उस दिन जीवन सरल हो जायेगा।
ये मान लेना ही की हम सम्पूर्ण हम गलती कर ही नही,
सकते यही हमे क्षमा करने से रोकता है। अतः अहम से,
बचो।
क्षमा ही दया का दूसरा रूप है, दयालु व्यक्ति कभी,
दूसरों को दुख नही पहुँचा सकते। अतः क्षमा का रास्ता,
अपनाइए और जीवन के सरलतम रास्तों पर चलिये।


कहाँ गये वो दिन पुराने,
देते थे जो छत पर दाने,
सुनगुन सुनकर सोन चिरैया,
आ जाती थी दाना खाने,
ना दिखती है सोन चिरैया,
नाही बचे वो लोग पुराने,
ढूढ़ रही है डाली डाली,
किधर गया वो दरख्त खाली,
जिसमें था रैन बसेरा,
अब भी बदल गया जब इंसान,
फिर फुदकेगी नन्ही ये जान,
छत पर फिर रौनक बरसेगी,
दाने दाने पर चहकेगी.


हर सुबह नयी किरण की आभा से परिलक्षित,
सूर्य अपनी रोशनी लेकर आता है।
मानो जिंदगी को नया अहसास प्रदान करके,
नयी ऊर्जा का संचरण करता है।


है हिमालय की चोटी से ऊँचा ज़ज्बा,
फौलादी है जिनका सीना,
सर पर कफ़न बांधकर वो,
दुश्मनों कर दें मुश्किल वो जीना,
मेरे धरती के लाल हैं वो,
मेरे वतन की मिसाल हैं वो,
धन्य है धरती भारत माँ की,
जिस जा निसार हैं वो।


कहता है भेड़िया,
भेड़िये पर कर विश्वास,
भेड़िया अब बदल गया,
अब वो खून नही पीता,
अब पीता है विश्वास,
क्योंकि वह नरम दल का हो गया,
अब रियायत करना सीख गया है,
जैसे जलेबी की रक्षा करने को,
मधुमख्खी को दे दी जाए,
क्या कभी नरभक्षी जानवर,
खून पीना बन्द कर सकता,
शायद नही,
आज रक्षक बनकर,
भक्षक बन गया है,
हाँ भेड़िया अब,
शक्ल बदलकर,
आया है मेमनों के बीच,
उनको खाने।
– कल्याणी तिवारी.


बस दर्द का सिला मिला,
ना कोई गिला मिला,
जो था मेरे पास में,
बही खफा खफा मिला,
हम ढूढ़ते हैं जिसे,
वक्त की तनहायी मे,
वही तो बेबफा मिला,
गर्दिशों का दौर है,
झूठा ये जहां मिला॥
हर कोई कह रहा,
हम तुम्हारे साथ हैँ,
मुफलिसी के दौर में,
वो दूर सा खड़ा मिला.


किंकर्तव्यविमूढ़ हो गया हूँ,
सत्यपथ पर चलूँ या झूठ पर,
आजकल सत्य के अन्वेषी हैं कहाँ,
कर्तव्यों की भरमार है झूठी,
देखो झूठी शान है देखो,
मैं समझ नही पाता हूँ,
जीवन में आगे बढ़ जाता हूँ,
पर पाँव खींचती पीछे,
मेरी खुद की परछाई है,
मैं सत्य का अनुरागी हूँ,
कौन सी राह भला मैं जाऊँ।


एक साथी हो जो,
मुझे चिल्‍लाता,
ऐ पगली,
जरा संभलकर चल,
भीड़ जाएगी,
रास्तों पर पत्थर बहुत हैँ,
मेरी जिद पर मनुहार करता,
मत करो ऐसा नही तो,
चोट लग जाएगी,
क्योंकि आज फिर,
माँ की याद आ रही हैं।


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